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Chandigarh- यमुनानगर में लगेगा 900 मैगावाट का नया पावर प्लांट: मनोहर लाल


वर्ष 1966 में कुल 343 मैगावाट बिजली उपलब्धता, आज बढक़र हुई 13106.58 मैगावाट, हरियाणा बिजली विनियामक आयोग की रही अहम भूमिका



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा अपने गठन के बाद बिजली क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ा है। एक ओर जहाँ उस समय बिजली की उपलब्धता केवल 𝟑𝟒𝟑 मैगावाट थी तो वहीं आज 𝟏𝟑𝟏𝟎𝟔.𝟓𝟖 मैगावाट तक हो गई है। इस प्रकार राज्य में विगत 𝟖 वर्षों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में आज हरियाणा बिजली उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बना है। 

जब मई-जून के महीनों में बिजली की सर्वाधिक आवश्यकता होती है (पीक आवर्स), तो उस समय बिजली की मांग 𝟏𝟐𝟕𝟔𝟖 मैगावाट तक पहुँच गई थी, उस लक्ष्य को भी पूरा किया गया। पूरे उत्तरी भारत में जब बिजली का संकट गहरा गया था तब भी हरियाणा में बिजली की उपलब्धता आशा के अनुरूप रही। बिजली निगमों व हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) द्वारा किए गए बिजली सुधारों की बदौलत यह संभव हो सका।

वर्ष 1970 में ही गांव- गांव में पहुंची थी बिजली

अलग प्रांत के रूप में हरियाणा जब 𝟏𝟗𝟔𝟔 में पंजाब से अलग हुआ तो उस समय हरियाणा के पास संसाधनों की अत्यधिक कमी थी। तत्कालीन सरकारों के समक्ष जनता को सडक़, बिजली, पानी जैसे बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना एक बड़ी चुनौती था। लेकिन 𝟏𝟗𝟕𝟎 में गांव-गांव में बिजली पहुंचाई गई। 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं मानते हैं कि प्रदेश के विकास में अब तक की जितनी भी सरकारें रही हैं, सभी ने इस कार्य में अपना योगदान दिया है। परंतु जितने कार्य पिछले 𝟖 वर्षों में हुए हैं, वह 𝟒𝟖 वर्षों के कार्यों पर भारी पड़ रहे हैं। बिजली सुधारों के क्षेत्र में तो हरियाणा ने इन 𝟖 वर्षों में एक ऊंची छलांग लगाई है। प्रदेश न केवल बिजली की उपलब्धता के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है बल्कि बिजली वितरण की चारों कंपनियां पहली बार मुनाफे में आई हैं।

हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) भी निभा रहा है अहम भूमिका

बिजली उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण, बिजली दरों को न्यायसंगत बनाने और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य के लिए 𝟏𝟗𝟗𝟖 में हरियाणा पावर रिफोर्म एक्ट लागू हुआ, इसके बाद 𝟏𝟔 अगस्त, 𝟏𝟗𝟗𝟖 को एचईआरसी का गठन किया गया। हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड के स्थान पर दो कंपनियां बनी-हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (एचवीपीएन) और हरियाणा बिजली उत्पादन निगम (एचपीजीसीएल)।

वर्ष 𝟏𝟗𝟗𝟗 में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम से दो अलग कंपनियां बनाई गई जो केवल बिजली वितरण का कार्य करेंगी - उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन), यानी यूएचबीवीएन के अंतर्गत अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक और झज्जर सहित दस बिजली सर्कल हैं, इन दस सर्कलों में 𝟑𝟐 डिविजन हैं और 𝟏𝟐𝟖 सब डिविजिन हैं, इसीप्रकार, डीएचबीवीएन के अंतर्गत हिसार, फतेहाबाद, जींद, नारनौल, रेवाड़ी, भिवानी, गुरुग्राम-𝟏, गुरूग्राम-𝟐, फरीदाबाद, पलवल और सिरसा सहित 𝟏𝟏 सर्कल, 𝟑𝟎 डिविजन और 𝟏𝟐𝟗 सब डिविजन हैं।

यमुनानगर में लगेगा 900 मैगावाट का नया पावर प्लांट और आज कृषि क्षेत्र में कनेक्शनों की संख्या हुई छ: लाख 64 हजार से अधिक

हरियाणा बिजली उत्पादन निगम कुल 𝟐𝟓𝟖𝟐.𝟒𝟎 मैगावाट बिजली का उत्पादन करती है, जिसमें से पानीपत थर्मल प्लांट से 𝟕𝟏𝟎 मैगावाट बिजली का, राजीव गांधी थर्मल प्लांट खेदड़ से 𝟏𝟐𝟎𝟎 मैगावाट, दीनबंधु छोटूराम थर्मल प्लांट, यमुनानगर से 𝟔𝟎𝟎 मैगावाट, वेस्टर्न यमुना कैनाल से 𝟔𝟐.𝟒 मैगावाट हाइड्रो तथा पानीपत पावर प्रोजेक्ट से 𝟏𝟎 मैगावाट सोलर का बिजली उत्पादन होता है। 𝟏𝟗𝟔𝟔 में जहां हरियाणा में 𝟐𝟎 हजार 𝟏𝟗𝟎 कृषि के लिए उपयोग में आने वाले टयूबवेल के बिजली कनेक्शन थे जो अब 𝟐𝟎𝟐𝟐 में बढक़र 𝟔 लाख 𝟔𝟒 हजार 𝟖𝟖𝟐 हो गए हैं। 

𝟏𝟗𝟔𝟔 में हरियाणा में मात्र 𝟗𝟕𝟒𝟗 ओद्यौगिक क्षेत्र के बिजली कनेक्शन थे जो अब 𝟐𝟎𝟐𝟐 में बढक़र 𝟏 लाख 𝟏𝟖 हजार 𝟖𝟎𝟏 हो गए हैं। वर्ष 𝟏𝟗𝟔𝟔 में प्रति व्यक्ति 𝟒𝟖 यूनिट बिजली की खपत थी जो अब बढक़र करीब 𝟏𝟖𝟎𝟓 यूनिट हो गई है। आज बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढकर 𝟕𝟑 लाख 𝟖𝟐 हजार 𝟖𝟑𝟔 हो गई है। मुख्मंत्री ने राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए एनसीआर से बाहर यमुनानगर में 𝟗𝟎𝟎 मैगवाट एक और पावर प्लांट लगाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है और शीघ्र ही इसके स्थल चयन व डीपीआर को मंजूरी मिल जाएगी।

म्हारा गांव-जगमग गांव योजना से जगमग हो रहा हरियाणा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि बिजली की आपूर्ति उपभोक्ताओं की मांग पर की जाती है जिस प्रकार दुकान से कोई ग्राहक सामान लेता है और भुगतान करता है। उसी प्रकार बिजली का भी भुगतान उपभोक्ताओं को करना होता है, प्रदेश में बिजली बिल ना भरने की एक परिपाटी चली आ रही थी जिसकी मिथ्या मुख्यमंत्री ने वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟔 में गांव बाढड़ा में तोड़ी थी, जहां उन्होंने झोली फैलाकर लोगों से बिजली बिल भरने की अपील की थी। 

और उसके बाद म्हारा गांव-जगमग गांव योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत अब इस समय प्रदेश के 𝟓𝟔𝟖𝟏 अर्थात 𝟖𝟒 प्रतिशत गांवों को 𝟐𝟒 घंटे बिजली दी जा रही है, जबकि अक्तूबर,𝟐𝟎𝟏𝟒 में केवल मात्र 𝟓𝟑𝟖 गांवों में 𝟐𝟒 घंटे बिजली दी जा रही थी। अक्तूबर, 𝟐𝟎𝟏𝟒 में ग्रामीण क्षेत्र से बिजली बिलों की रिकवरी 𝟓𝟎 प्रतिशत से भी कम थी जो अब बढक़र 𝟗𝟎 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इस प्रकार आज हरियाणा बिजली उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बना है बल्कि बिजली से चलने वाले उद्योग धंधों और अन्य आधारभूत सुविधाओं में भी देश में शीर्ष स्थान पर है।

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