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Panchkula- कोई भी परिवार बच्चे की किलकारी के बिना पूरा नहीं माना जाता: कमलेश ढांडा

 

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने भावी दत्तक माता-पिता से कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही बच्चा गोद लेने का किया आहवान.



पंचकूला, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि कोई भी परिवार तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक वहां बच्चे की किलकारी ना सुनाई दे। हर कोई चाहता है कि उनके घर में बच्चा जरूर हो, ताकि परिवार में खुशियां बनी रहें। 


कमलेश ढांडा आज पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम ग्रह में अंतर्राष्ट्रीय दत्तक माह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर विभाग की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी कुमार, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मोनिका मलिक, बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता, अंबाला की सीजेएम सुखदा प्रीतम भी उपस्थित थी।

महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि बच्चे का सबसे अधिक विकास भी परिवार में ही होता है।


उसे समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए सरकार, प्रशासन से अधिक महत्वपूर्ण भूमिका परिवार की ही होती है।

उन्होंने कहा कि हम जिस समाज में रहते हैं, वहां दो जरूरी पहलू हैं, जिनका सामना हम अपने आसपास के दायरे में करते हैं।

पहला ऐसा परिवार, जहां किसी कारण से बच्चा नहीं होता। दूसरा ऐसा बच्चा, जिसे किसी कारण से त्याग दिया जाता है और वह समाज की मुख्य धारा से कट जाता है।

उन्होंने कहा कि बच्चे को गोद देना और बच्चे को गोद लेना दोनों जिम्मेदारी के काम हैं।

इन्हें अगर जिम्मेदारी के साथ न निभाया जाए, तो समाज, परिवार या बच्चे के सामने जो अडचन आती हैं, उसका खामियाजा पूरी व्यवस्था को उठाना पडता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि एक-एक बच्चा, एक-एक परिवार देश व समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण कडी है।

यदि हम सब मिलकर इन दोनों कडियों को जोडें तो देश भी मजबूत होगा और समाज भी।

प्रधानमंत्री के इस विचार पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, हरियाणा सरकार व बच्चों से जुडी सभी एजेंसियां गंभीरता से अपना काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर्ष का विषय है कि हरियाणा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हर संकल्प पर आगे बढकर काम किया है और अन्य राज्यों के सामने मिसाल पेश की है।

इस साल दत्तक ग्रहण माह के लिए कानूनी दत्तक ग्रहण को बढावा देने के संकल्प को आगे बढाने पर जोर दिया।

इसके पीछे सबसे बडी वजह बच्चों को गोद देने व बच्चों को गोद लेने की जटिल प्रक्रिया को देखकर कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करना है।


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