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𝐖𝐢𝐧𝐭𝐞𝐫 𝐒𝐞𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧 𝟐𝟎𝟐𝟐: नो लिटिगेशन पॉलिसी- 2022 की घोषणा


𝐓𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐝𝐢𝐠 𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐋𝐞𝐚𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐎𝐩𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐟𝐨𝐫 𝐦𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐫𝐨𝐧𝐠 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐡𝐢𝐠𝐡 𝐝𝐞𝐛𝐭, 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫, 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐋𝐞𝐚𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐎𝐩𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐰𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐲𝐨𝐧𝐝 𝐟𝐚𝐜𝐭𝐬. 𝐂𝐢𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 𝐫𝐞𝐩𝐨𝐫𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐀𝐆, 𝐭𝐡𝐞 𝐋𝐞𝐚𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐎𝐩𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐡𝐚𝐬 𝐚 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐟 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐭𝐡𝐚𝐧 𝐑𝐬 𝟒,𝟏𝟓,𝟎𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞; 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐢𝐧 𝐫𝐞𝐚𝐥𝐢𝐭𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐦𝐨𝐮𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐧 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐬𝐡𝐨𝐰𝐧 𝐚𝐭 𝐑𝐬 𝟐,𝟑𝟗,𝟎𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐀𝐆 𝐫𝐞𝐩𝐨𝐫𝐭. 𝐀 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐟 𝐑𝐬 𝟐, 𝟐𝟕,𝟔𝟗𝟕 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞𝐬 𝐢𝐬 𝐫𝐞𝐜𝐨𝐫𝐝𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐜𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭 𝐛𝐨𝐨𝐤𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭. 𝐈𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐢𝐟𝐟𝐞𝐫𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐚𝐦𝐨𝐮𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐨𝐮𝐭, 𝐭𝐡𝐞𝐧 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝐚 𝐝𝐢𝐟𝐟𝐞𝐫𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐨𝐟 𝐑𝐬 𝟏𝟐,𝟎𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐯𝐢𝐬𝐢𝐛𝐥𝐞; 𝐛𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐝𝐨𝐞𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐚 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐟 𝐑𝐬 𝟒,𝟏𝟓,𝟎𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐧 𝐚𝐧𝐲 𝐫𝐞𝐬𝐩𝐞𝐜𝐭. 



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विपक्ष के नेता द्वारा राज्य सरकार पर अधिक कर्ज होने के गलत बयान देने पर निशाना साधते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष का बयान तथ्यों से परे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कैग की 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि राज्य पर 𝟒,𝟏𝟓,𝟎𝟎𝟎 करोड़ रुपये से अधिका का कर्ज है। 

जबकि वास्तविकता यह है कि कैग की रिपोर्ट में 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में हरियाणा पर कर्ज की राशि 𝟐,𝟑𝟗,𝟎𝟎𝟎 करोड़ रुपये दिखाई गई है। हरियाणा सरकार की अकाउंट बुक्स में 𝟐,𝟐𝟕,𝟔𝟗𝟕 करोड़ रुपये का कर्ज दर्ज है। यदि इस राशि का अंतर भी निकाला जाए तो केवल 𝟏𝟐 हजार करोड़ रुपये की ही अंतर दिखता है। 

परंतु किसी भी लिहाज से राज्य पर 𝟒,𝟏𝟓,𝟎𝟎𝟎 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की ऋण की स्थिति हमेशा सही बतानी चाहिए और सदन में रखे गए तथ्य सही होने चाहिएं।

मुख्यमंत्री, जिनके पास वित्त विभाग का प्रभार भी हैं, ने सदन को अवगत कराया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा 𝟒 प्रतिशत तक कर दी थी। 

जबकि हरियाणा सरकार तो इस सीमा को 𝟐.𝟗𝟗 प्रतिशत तक बनाये रखने में कामयाब है। कोरोना काल में केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार हम 𝟒𝟎,𝟔𝟔𝟏 करोड़ रुपये ले सकते थे, जबकि हमने 𝟑𝟎,𝟎𝟎𝟎 करोड़ रुपये ऋण लिया। जबकि 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 के दौरान 𝟒𝟎,𝟖𝟕𝟎 करोड़ रुपये का ऋण ले सकते थे, लेकिन हमने 𝟑𝟎,𝟓𝟎𝟎 करोड़ रुपये ही लिया।

नो लिटिगेशन पॉलिसी- 𝟐𝟎𝟐𝟐 की घोषणा

सत्र के दौरान पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता द्वारा उठाए गए मुद्दे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सहरावन गांवों में औद्योगिक मॉडल टाउनशिप के विकास के लिए लगभग 𝟏𝟖𝟏𝟎 एकड़ भूमि के अधिग्रहण पर असंतोष के चलते भूमि अधिग्रहण में विलम्ब को देखते हुए नो लिटिगेशन पॉलिसी -𝟐𝟎𝟐𝟐 बनाई गई है। 

विस्थापित भूस्वामियों के उचित पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिग्रहण कार्यवाही अपनाई गई है। इस नीति का उद्देश्य भू - स्वामियों की स्वैच्छिक भागीदारी से तेजी से विकास सुनिश्चित करना है। इसके लिए उन भूस्वामियों को जो अपनी भूमि के अधिग्रहण को चुनौती नहीं देने का विकल्प चुनते हैं। 

और मुआवजे की स्वीकृत राशि को स्वीकार करते हैं, उन्हें पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जाएगा। नीति के तहत, भूस्वामी अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए कुल 𝟏𝟎𝟎𝟎 वर्ग मीटर के विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड आवंटित करने के विकल्प का चयन करने के पात्र होंगे।

Responding to the issue raised by Pataudi MLA,  Satya Prakash Jaravata during the declaration session of No Litigation Policy-2022, the Chief Minister while making the announcement said that No Litigation Policy-2022 has been formulated in view of the delay in land acquisition due to dissatisfaction over the acquisition of about 1810 acres of land for the development of Industrial Model Township in Kasan, Kukrola and Sehrawan villages of Manesar tehsil.

Special acquisition proceedings have been adopted to ensure the proper rehabilitation of displaced landowners. The objective of this policy is to ensure rapid development with the voluntary participation of landowners. For this, the landowners who choose not to challenge the acquisition of their land and accept the approved amount of compensation will be adequately compensated. Under the policy, landowners will be eligible to choose the option of allotting a developed residential or developed industrial plot of a total of 1000 square meters for every one acre of land acquired,  

मनोहर लाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟎 के भूमि अधिग्रहण के मामले में निर्णय दिया कि मुआवजा उस समय के रेट के अनुसार ही दिया जाए, जो 𝟗𝟐 लाख प्रति एकड़ बनता है। लेकिन गुरुग्राम में क्लेक्टर रेट अधिक हैं और इतने सालों के बाद मुआवजा दिया जा रहा है, तो यह महसूस किया गया कि उन्हें थोड़ी अधिक राशि मिलनी चाहिए, इसलिए उपरोक्त नई नीति बनाई गई है। इसके तहत अब भू स्वामियों को 𝟐 करोड़ 𝟔𝟕 लाख रुपये दिये जाएंगे।

इन विकसित भूखंडों के आवंटन की दर पहली फ्लोटेशन के समय निर्धारित आरक्षित मूल्य यानी 𝟏𝟕,𝟓𝟓𝟎 रुपये प्रति वर्गमीटर के बराबर होगी। विकसित भूखण्डों का आवंटन मानक आकार के गुणकों में ही किया जायेगा। विकसित आवासीय भूखंडों के लिए मानक आकार 𝟏𝟎𝟎 वर्गमीटर और 𝟏𝟓𝟎 वर्गमीटर और विकसित औद्योगिक भूखंडों के लिए मानक आकार 𝟒𝟓𝟎 वर्गमीटर होगा।

Manohar Lal said that in the case pertaining to land acquisition in the year 2010, the Supreme Court decided that the compensation should be given according to the rate of that time; which works out to 92 lakhs per acre. But the collector rate is high in Gurugram and the compensation is being given after many years; so it was felt that they should get a little more amount. Thus, the above new policy has been made. Under this, Rs 2.67 crore will now be given to the land owners. 

The rate of allotment of these developed plots will be equal to the reserve price fixed at the time of the first flotation i.e. Rs 17,550 per square metre. Allotment of developed plots will be done in multiples of standard size only. The standard size for developed residential plots will be 100 square metres and 150 square metres and the standard size for developed industrial plots will be 450 square metres. 

उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में जहां विकसित भूखंडों की पात्रता विकसित भूखंड के मानक आकार के पूर्णांकी गुणक से अधिक हो तो पात्र क्षेत्र के लिए आवंटित क्षेत्र में से विकसित प्लॉट को घटाकर बाय - बैक मूल्य पर मौद्रिक लाभ प्रदान किया जाएगा। 

ऐसे मामलों में जहां विकसित भूखंड की पात्रता विकसित भूखंड के मानक आकार / ऐसे भूखंडों के पूर्णांकी गुणक से कम है, लेकिन 𝟏𝟎 प्रतिशत की सीमा के अंदर है, भूस्वामी पात्र क्षेत्र से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र पहले फ्लोटेशन के समय निर्धारित बाय - बैक मूल्य पर खरीद सकता है। 

नोडल एजेंसी एच.एस.आई.आई.डी.सी. इस नीति के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि से 𝟑 महीने की अवधि के भीतर भूमि मालिक के आवंटन हिस्से के आधार पर भूमि अधिकार प्रमाण पत्र जारी करेगी। भूमि अधिकार प्रमाण पत्र का लेन - देन, क्रय - विक्रय किया जा सकता है तथा विकसित भूमि का आबंटन भूखण्डों के आबंटन के समय प्राप्त भूमि अधिकार प्रमाण - पत्रों के आधार पर किया जायेगा। 

भूमि अधिकार प्रमाण - पत्र धारकों को विकसित भूखण्डों का आबंटन तभी किया जायेगा, जब स्थल के संबंध में मूलभूत अवसरंचना सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएगी। तब तक विकसित भूखण्ड की पात्रता की एवज में कोई भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि भू - स्वामी को भूमि क्षतिपूर्ति अवार्ड के अलावा 𝟑𝟑 वर्ष की अवधि के लिए 𝟐𝟏,𝟎𝟎𝟎 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष के वार्षिक भुगतान के रूप में अतिरिक्त मूलभूत भरण - पोषण के विकल्प का लाभ उठाने का भी अधिकार होगा। 

𝟐𝟏,𝟎𝟎𝟎 रुपये की वार्षिकी राशि में हर वर्ष 𝟕𝟓𝟎 रुपये की निश्चित बढ़ोतरी की जाएगी । भू - स्वामी / भूमि अधिकार प्रमाणपत्र धारक के अनुरोध पर नोडल एजेंसी आवंटन मूल्य 𝟏𝟕.𝟓𝟓𝟎 रुपये प्रति वर्गमीटर घटाकर तय दरों पर वैध भूमि अधिकार प्रमाणपत्र वापिस खरीद लेगी।


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