Chief Minister releases coffee table book ‘Sikh Business Leaders of India’
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आए उद्यमियों को हरियाणा में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में राज्य सरकार ने उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है, सरकार की ओर से बहुत सी सुविधाएं दी जा रही हैं।
उन्होंने सिख उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में आकर व्यापार करेंगे तो उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी। सरकार ने सिंगल रूफ़ सिस्टम बनाया है, जिसके तहत उद्योगों को मिलने वाली सभी प्रकार की अनुमति 45 दिन में एक छत के नीचे मिल रही हैं।
उन्होंने सिख उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में आकर व्यापार करेंगे तो उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी। सरकार ने सिंगल रूफ़ सिस्टम बनाया है, जिसके तहत उद्योगों को मिलने वाली सभी प्रकार की अनुमति 45 दिन में एक छत के नीचे मिल रही हैं।
प्रदेश में अब बिजली आपूर्ति की स्थिति भी बेहतर है। इतना ही नहीं, औद्योगिकीकरण की दृष्टि से राज्य सरकार ने प्रदेश को 4 श्रेणियों - ए, बी, सी और डी में बाँटा है। यदि सी और डी जोन में उद्योग स्थापित करेंगे तो 4000 रुपये प्रति वर्कर प्रति माह अगले 4 सालों तक हरियाणा सरकार प्रोत्साहन के तौर पर प्रतिपूर्ति करेगी।
मनोहर लाल ने कहा कि सिख समाज का प्रदेश और देश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है। यह समाज कर्मशील समाज है और इन्होंने संघर्ष करके अपने व्यापार, अपने परिवार, देश और समाज को आगे बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ ही जो गरीब है, जो किसी कारण से मुख्यधारा से पीछे रह गए हैं, उनको आगे बढ़ाने के लिए भी सेवा भाव से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दशम पातशाही के समय देश में जो हालात थे, उस समय देश गुलामी की जिंदगी जी रहा था। अपने आप को उजागर करने या अपनी बात कहने और स्वाभिमान से जीने का मौका नहीं था। उस समय श्री गुरु नानक देव जी ने भक्ति आंदोलन शुरू किया।
मनोहर लाल ने कहा कि सिख समाज का प्रदेश और देश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है। यह समाज कर्मशील समाज है और इन्होंने संघर्ष करके अपने व्यापार, अपने परिवार, देश और समाज को आगे बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ ही जो गरीब है, जो किसी कारण से मुख्यधारा से पीछे रह गए हैं, उनको आगे बढ़ाने के लिए भी सेवा भाव से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दशम पातशाही के समय देश में जो हालात थे, उस समय देश गुलामी की जिंदगी जी रहा था। अपने आप को उजागर करने या अपनी बात कहने और स्वाभिमान से जीने का मौका नहीं था। उस समय श्री गुरु नानक देव जी ने भक्ति आंदोलन शुरू किया।
उसके बाद कई कथावाचकों ने भी लोगों में भक्ति भाव पैदा करके लोगों का मन मजबूत करने का काम किया। दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का समय जब आया तब यह महसूस हुआ कि भक्ति भाव के बाद शक्ति मार्ग का भी उपयोग करना पड़ेगा। शक्ति का प्रयोग करके दुश्मनों को हराकर आगे बढ़ना होगा।