Type Here to Get Search Results !

ad

ADD


 

𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐍𝐞𝐰𝐬: जल क्रांति की ओर बढ़े हरियाणा के कदम

Haryana Chief Minister, Manohar Lal who from day one of his tenure has been making Bhagirath-like efforts to save every single drop of water, today took another pivotal step towards ensuring that future generations have access to clean and safe water as he launched biennial Integrated Water Resources Action Plan (2023-25).



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। हरित क्रांति, श्वेत क्रांति व नीली क्रांति का अग्रदूत रहा हरियाणा अब जल संकट से निपटने और भावी पीढ़ियों को विरासत में जल प्रदान करने के लिए जल क्रांति की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस दिशा में अपने भागीरथी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया।

CM launched the first-of-a-kind biennial Integrated Water Resources Action Plan(2023-25)

मुख्यमंत्री आज यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है, जब इतने बड़े स्तर पर जल संसाधन के लिए कार्य योजना का अनावरण किया गया है। इस कार्य योजना में पानी की कमी और जलभराव की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा बनाई गई ब्लॉक स्तरीय कार्य योजनाएं शामिल हैं। 

एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना का लक्ष्य पानी की बचत करके दो वर्षों की अवधि में पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को 𝟒𝟗.𝟕 प्रतिशत तक पूरा करना है। पहले वर्ष में कुल 𝟐𝟐 प्रतिशत पानी और दूसरे वर्ष में 𝟐𝟕.𝟕 प्रतिशत पानी बचाना है। यह कदम पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 𝟐𝟎,𝟗𝟑,𝟓𝟗𝟖 करोड़ लीटर है, जबकि पानी की कुल मांग 𝟑𝟒,𝟗𝟔,𝟐𝟕𝟔 करोड़ लीटर है, जिससे पानी का अंतर 𝟏𝟒 लाख करोड़ लीटर है। इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों में पानी की बचत करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में 𝟐𝟔 और 𝟐𝟕 अप्रैल 𝟐𝟎𝟐𝟑 को दो दिवसीय जल सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें प्रशासनिक सचिवों और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया था। 

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था। विभागों ने जिला समितियों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के इनपुट के आधार पर मांग और आपूर्ति की योजना प्रस्तुत की, परिणामस्वरूप आज की कार्य योजना तैयार की गई।

कृषि विभाग सहित अन्य विभागों ने पानी की बचत के लिए बनाई कार्य योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी की अधिकतम मात्रा का उपयोग कृषि और बागवानी क्षेत्र में किया जाता है, जो क्रमशः 𝟖𝟔 प्रतिशत और 𝟓 प्रतिशत है। जल संरक्षण तरीकों को अपनाकर पानी की खपत को कम करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। कृषि विभाग ने कार्य योजना में विभिन्न उपायों को शामिल किया है। 

इसके अनुसार, फसल विविधीकरण के तहत 𝟑.𝟏𝟒 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया जाएगा, जिससे 𝟏.𝟎𝟓 लाख करोड़ लीटर (𝟕.𝟔 प्रतिशत) पानी की बचत होगी। 𝟒.𝟕𝟓 लाख एकड़ में धान की सीधी बिजाई करने से 𝟎.𝟓𝟏 लाख करोड़ लीटर (𝟑.𝟕 प्रतिशत) संरक्षण जुताई के तहत 𝟐𝟕.𝟓𝟑 लाख एकड़ के माध्यम से 𝟏.𝟏𝟖 लाख करोड़ लीटर (𝟖.𝟒 प्रतिशत) पानी की बचत होगी। 

𝟑.𝟒𝟗 लाख एकड़ में उच्च किस्मों के प्रयोग से 𝟎.𝟒𝟕 लाख करोड़ लीटर (𝟑.𝟒 प्रतिशत), 𝟗.𝟕𝟑 लाख एकड़ में हरी खाद के उपयोग से 𝟎.𝟑𝟓 लाख करोड़ लीटर (𝟐.𝟓 प्रतिशत) पानी, प्राकृतिक खेती के तहत 𝟎.𝟒𝟑 लाख एकड़ को कवर करके 𝟎.𝟐𝟕 लाख करोड़ लीटर (𝟏.𝟗 प्रतिशत) पानी की बचत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इसी प्रकार, सिंचाई विभाग (मिकाडा सहित), जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन, शिक्षा इत्यादि विभागों ने भी जल संसाधन के उपाय बताए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गिरते भूजल के बारे में जागरूकता पैदा करने और इस जल संरक्षण अभियान को जन आंदोलन बनाकर लोगों की सक्रिय भागीदारी के लिए सर्वोत्तम प्रयास करेगी।

मुख्यमंत्री हुए भावुक, उन्होंने नागरिकों से की अपील, धरती मां को बचाना है, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करो, लेकिन शोषण नहीं

प्राकृतिक संसाधनों के उपयुक्त उपयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि बेटियों ने हमें आवाज़ दी कि हमें गर्भ में मत मारो तो हमने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया और समाज के सहयोग से इसे सफल बनाया। 

आज धरती माँ हमें पुकार रही है, तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें, लेकिन किसी भी कीमत पर उनका शोषण न करें।

मुख्यमंत्री ने किसानों से भी भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि धरती माँ का शोषण न हो, इसके लिए हम सभी को काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि पंचतत्वों को यदि हम देखें तो उसका मतलब भगवान बनता है। भू यानी भूमि (पृथ्वी), ग यानी गगन, अ यानी अग्नि, वा यानी वायु और न यानी नीर या जल होता है। इसलिए हमें अपने बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा।

मुख्यमंत्री ने एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना तैयार करने में सभी संबंधित विभागों के समर्पित प्रयासों की भी सराहना की।

रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर देना होगा ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम जल प्रबंधन और संरक्षण की ओर बढ़ते हैं तो रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर हमें फोकस करना होगा। पानी का पुन: उपयोग करके फ्रेश वॉटर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना जैसी नई पहल की है। उन्होंने राज्य के किसानों का भी धन्यवाद किया
 

जिन्होंने 1.5 लाख एकड़ भूमि पर धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती की। इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी।

किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए के सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह और सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad


ADD


 

ads