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𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐍𝐞𝐰𝐬: बीमा कंपनियां कूट रही हैं करोड़ों का मुनाफा, मुआवजे के लिए तरस रहा है किसान- हुड्डा

𝐅𝐨𝐫𝐦𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐁𝐡𝐮𝐩𝐢𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐏𝐫𝐚𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐌𝐚𝐧𝐭𝐫𝐢 𝐅𝐚𝐬𝐚𝐥 𝐁𝐢𝐦𝐚 𝐘𝐨𝐣𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐚 𝐦𝐞𝐚𝐧𝐬 𝐭𝐨 𝐛𝐞𝐧𝐞𝐟𝐢𝐭 𝐢𝐧𝐬𝐮𝐫𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐚𝐧𝐢𝐞𝐬 𝐢𝐧𝐬𝐭𝐞𝐚𝐝 𝐨𝐟 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬. 𝐓𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞, 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝, 𝐢𝐬  𝐦𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐩𝐨𝐨𝐫, 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐚𝐧𝐢𝐞𝐬 𝐚𝐫𝐞 𝐠𝐞𝐭𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐫𝐢𝐜𝐡. 

𝐑𝐞𝐚𝐜𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐧𝐨𝐭𝐢𝐜𝐞 𝐬𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐞𝐧𝐭𝐞𝐫 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐏𝐮𝐧𝐣𝐚𝐛-𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐇𝐢𝐠𝐡 𝐂𝐨𝐮𝐫𝐭 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞, 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐜𝐭𝐬 𝐫𝐞𝐯𝐞𝐚𝐥𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐞𝐭𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧𝐞𝐫𝐬, 𝐰𝐡𝐨 𝐰𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐮𝐫𝐭 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧𝐬𝐭 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐬𝐜𝐡𝐞𝐦𝐞, 𝐚𝐫𝐞 𝐬𝐡𝐨𝐜𝐤𝐢𝐧𝐠. 𝐈𝐧𝐬𝐮𝐫𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐚𝐧𝐢𝐞𝐬 𝐢𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐜𝐨𝐥𝐥𝐞𝐜𝐭𝐞𝐝 𝐑𝐬 𝟐𝟓𝟑 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐚𝐬 𝐩𝐫𝐞𝐦𝐢𝐮𝐦, 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝐑𝐬 𝟐𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐰𝐚𝐬 𝐠𝐢𝐯𝐞𝐧 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐚𝐬 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐞𝐧𝐬𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧. 𝐈𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐦𝐨𝐮𝐧𝐭 𝐠𝐢𝐯𝐞𝐧 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐚𝐧𝐢𝐞𝐬, 𝟏𝟐𝟑.𝟓𝟓 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞𝐬 𝐰𝐞𝐫𝐞 𝐝𝐞𝐝𝐮𝐜𝐭𝐞𝐝 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬' 𝐚𝐜𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭, 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐑𝐬 𝟖𝟑.𝟓𝟒 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐰𝐚𝐬 𝐩𝐚𝐢𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐑𝐬 𝟒𝟓.𝟐𝟔 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐫𝐚𝐥 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭.


 

चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की बजाए बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने का जरिया है। इसके चलते किसान कंगाल और कंपनियां मालामाल हो रही हैं। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। 

Nsurance companies are reaping crores of profits, farmers are yearning for compensation- Hooda

हुड्डा ने योजना को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा केंद्र को भेजे गए नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ कोर्ट गए याचिककर्ताओ ने अदालत के सामने जिन तथ्यों को उजागर किया है, वह हैरान करने वाले हैं। 

हरियाणा में बीमा कंपनियों ने प्रिमियम के तौर पर 𝟐𝟓𝟑 करोड़ रुपए की वसूली की। जबकि मुआवजे के रूप में सिर्फ किसानों को सिर्फ 𝟐𝟎 करोड़ रुपये ही दिए। कंपनियों को दी गई राशि में 𝟏𝟐𝟑.𝟓𝟓 करोड़ किसानों के खाते से काटे गए। जबकि 𝟖𝟑.𝟓𝟒 करोड़ राज्य सरकार और 𝟒𝟓.𝟐𝟔 करोड़ का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया गया।

दिए गए आंकड़ों पर गौर किया जाए तो बीमा कंपनियों ने प्रीमियम के रूप में मिली राशि के मुकाबले सिर्फ 𝟖% राशि ही किसानों को मुआवजे के रूप में दी। इससे पहले भी आरटीआई के जरिए इस बात का खुलासा हो चुका है कि यह योजना सिर्फ और सिर्फ कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है। 

इस योजना के जरिए शुरुआती 𝟓 साल में ही पूरे देश में बीमा कंपनियों को 𝟒𝟎 हजार करोड़ रुपए का लाभ कमाया था, जबकि देशभर के किसान मुआवजे के लिए तरसते रहे। यही वजह है कि कई राज्यों, यहां तक कि बीजेपी शासित राज्य में भी इस योजना को बंद कर दिया गया।

हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस के उदयपुर और रायपुर में हुए राष्ट्रीय महाधिवेशन में भी बीमा योजना के बारे में विस्तार से चर्चा हुई थी। इसके लिए बनी कृषि कमेटी के प्रमुख के तौर पर उन्होंने अपने मसौदे में बीमा योजना का विस्तार से विवरण पेश किया था। 

मसौदे में बीमा योजना को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव की सिफारिशें की गईं थी। मसलन, बीमा का यह काम निजी कंपनियों की बजाय सहकारी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा होना चाहिए जो ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के सिद्धांत पर काम करें। 

बीमा के प्रीमियम का पूरा भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। बीमा करवाने वाले प्रत्येक किसान को उसकी फसल में खराबा होने पर मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों के साथ खेतीहर किसान व मजदूरों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। 

मुआवजा देने के नियम बिल्कुल सरल और स्पष्ट होने चाहिए। इसमें प्रत्येक किसान और प्रत्येक एकड़ को इकाई माना जाना चाहिए। जबकि मौजूदा बीमा योजना में पूरे गांव या पूरे क्षेत्र को इकाई माना गया है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर ऐसी फसल बीमा योजना लागू की जाएगी जो कंपनियों की बजाय किसानों के हित में होगी।

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