निजी परमिट जारी करने की बजाय अपनी बसें खरीदे सरकार- सैलजा
चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि 𝟐𝟔𝟓 निजी बस परमिट जारी करने का भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का कदम सरासर गलत है।
सरकार खुद की बसें खरीदने की बजाए निजी बस ऑपरेटरों को परमिट देकर रोडवेज के निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
इससे साफ है कि गठबंधन सरकार को न तो सरकारी परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने की फिक्र है और न ही जनता को निजी ऑपरेटर आने के बाद होने वाली परेशानी से कोई सरोकार है।
यहां जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट कैरिज स्कीम 𝟐𝟎𝟏𝟔-𝟏𝟕 को रद्द व संशोधित करने की छूट दी थी। लेकिन, इसके विपरीत परिवहन विभाग ने अब फिर से 𝟐𝟔𝟓 बस परमिट जारी करने की अधिसूचना जारी की है।
यहां जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट कैरिज स्कीम 𝟐𝟎𝟏𝟔-𝟏𝟕 को रद्द व संशोधित करने की छूट दी थी। लेकिन, इसके विपरीत परिवहन विभाग ने अब फिर से 𝟐𝟔𝟓 बस परमिट जारी करने की अधिसूचना जारी की है।
प्रदेश की जनसंख्या के अनुसार रोडवेज के बेड़े में पांच हजार नई बसों को शामिल करना चाहिए, लेकिन ऐसा करने की बजाए निजी ऑपरेटरों को एंट्री देने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
यह भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का जनविरोधी ही नहीं, कर्मचारी विरोधी निर्णय भी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार लोकल रूटों पर 𝟖𝟎 प्रतिशत निजी बस चलाने की योजना बनाई गई है, जबकि इन रूटों पर रोडवेज की बसों की संख्या 𝟐𝟎 प्रतिशत ही रहेगी।
इसी तरह अंतर्राज्यीय रूटों पर 𝟐𝟎 प्रतिशत निजी बसें रहेंगी तो 𝟖𝟎 प्रतिशत सरकारी बसों को रखने की तैयारी है। सूचना है कि अंतर्जिला रूटों पर निजी व सरकारी बसों के चलने की प्रतिशतता फिफ्टी-फिफ्टी रहेगी।
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार स्टेट कैरिज स्कीम 𝟐𝟎𝟏𝟔 में लंबी दूरी व मुख्य मार्गों पर परमिट देकर पहले ही मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन कर चुकी है।
अक्सर किलोमीटर स्कीम व निजी बसों के संचालकों, मालिकों व स्टाफ की मनमानी, दुव्र्यवहार व दुर्घटनाओं के मामले सामने आ रहे हैं, इसके बावजूद प्रदेश सरकार हरियाणा रोडवेज का निजीकरण करने पर आमादा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ए, बी और सी कैटेगिरी बनाते हुए निजी ऑपरेटरों को परमिट देकर रोडवेज के निजीकरण के साथ ही हजारों कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने की रणनीति तैयार हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि सरकारी परिवहन सेवा आम जनमानस की सुविधा व सुगम सफर के लिए होती हैं, लेकिन मौजूदा सरकार इसे बिजनेस के तौर पर प्रयोग करना चाहती है।
इस प्रयोग के फेर में न सिर्फ लोगों के जीवन को खतरे में डालने की तैयारी हो है, बल्कि उन्हें सफर के लिए निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली गई है।