सरकार ने 13 माह तक जब किसानों की नहीं सुनीं तो अब सरकार को बदलने का किसानों के पास अवसर है, वो एक ऐसी लड़ाई थी, जिसमें केवल भारत का किसान ही शामिल नहीं था, बल्कि दूनियाभर के किसान शामिल थे !
कुरुक्षेत्र, डिजिटल डेक्स।। अभय चौटाला ने कहा कि भाजपा व आप के जो प्रत्याशी कुरुक्षेत्र सीट पर उनके सामने चुनाव लड़ रहे हैं तो उनका किसानों से कोई सरोकार नहीं है।
ये वे लोग हैं, जिनके अपने प्राइवेट जहाज हैं। जिनके विदेशों में बड़े-बड़े कारखाने हैं। ये तो चुनाव इसीलिए लड़ते हैं कि सरकार में उनकी पैठ बनें।
उनकी पैठ बन जाए तो सरकार में शामिल होकर अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अगर किसान की लड़ाई किसी ने लड़ी है और खेती किसी ने की है तो ताऊ देवीलाल ने की।
ओमप्रकाश चौटाला ने गांव में रहने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने का प्रयास किया। मैंने भी किसान आंदोलन में अधिक से अधिक योगदान देने का प्रयास किया।
कोरोना के समय में भी जब सरकार ने फसल खरीदने से मना किया तो वे मंडियों में किसानों के साथ खड़े थे। अगर फसल और नसल बचानी है तो दोनों पूंजीपतियों से बचना चाहिए।
एक तरफ दो व्यापारी हैं, एक तरफ मैं हूं। अगर किसान को बचाना है तो मुझे वोट दे दो। अगर व्यापारियों की मदद करनी है तो उनको वोट दे दो।
अभय चौटाला ने कहा कि आप खुद तो वोट दें ही, साथ में अपने सगे-संबंधियों को भी इनेलो को वोट के लिए राजी करें। सरकार ने 13 माह तक जब किसानों की नहीं सुनीं तो अब सरकार को बदलने का किसानों के पास अवसर है।
वो एक ऐसी लड़ाई थी, जिसमें केवल भारत का किसान ही शामिल नहीं था, बल्कि दूनियाभर के किसान शामिल थे। दूसरे देशों में भी देश के किसानों के समर्थन में आंदोलन हुए।
भारत की सरकार को दूसरे देशों के लोग कहते थे कि आप किसान के साथ गलत कर रहे हैं। इस आंदोलन में आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा।
तब तक साढ़े सात सौ किसान शहीद हो चुके थे। अभय ने कहा कि अब इस सरकार से हर वर्ग दुखी है।