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𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐃𝐞𝐬𝐤 : सरकारी स्कूलों को बंद करने में लगी है हरियाणा सरकार : कुमारी सैलजा

अप्रत्यक्ष रूप से प्राइवेट स्कूलों को किया जा रहा है प्रमोट : कुमारी सैलजा


कही स्कूल नहीं तो कही विद्यार्थी नहीं, कही टीचर नहीं तो कही इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं



HARYANA DESK  ||  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करने में लगी हुई है साथ ही वह किसी न किसी रूप में प्राइवेट स्कूलों को प्रमोट करने में लगी हुई है।


हालात ये है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कही विद्यार्थी नहीं है, विद्यार्थी है तो टीचर नहीं है और कही पर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। हालात ये है कि इन स्कूलों में एसएसी-बीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की संख्या कम होती जा रही है।


मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि भाजपा सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है वह गरीब वर्ग को शिक्षा के अधिकार से वंचित करना चाहती है। सरकार सरकारी स्कूलों की ओर ध्यान नहीं दे रही है, उसका पूरा ध्यान प्राइवेट स्कूलो को प्रमोट करने में लगा हुआ है।


शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हरियाणा के 81 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं है जबकि इन स्कूलों मेंं 178 टीचर नियुक्त हैं। इसके साथ ही 867 स्कूल ऐसे है जहां पर एक ही अध्यापक तैनात है जबकि वहां पर 40828 बच्चे हैं। प्रदेश के 579 स्कूलों में लाइब्रेरी तक नहीं है तो 2198 स्कूलों में खेल का मैदान तक नहीं हैं, 599 स्कूल ऐसे है जहां लड़कियों के शौचालय तक नहीं हैं।


कुमारी सैलजा ने कहा कि इतना ही नहीं सरकारी स्कूलों में अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिमों और लड़कियों के दाखिलों में कमी आई है। दोनों के दाखिलों में गत वर्ष की अपेक्षा गिरावट आई है।


कुमारी सैलजा ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े खुद इस बात की गवाही दे रहे है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों और उनमें शिक्षा का स्तर क्या है कैसे देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ की जा रही है, किसी भी प्रदेश या देश की प्रगति वहां के शिक्षा के स्तर पर निर्भर करती है। सरकार को खुद सोचना चाहिए और मनन भी करना चाहिए कि प्रदेश के 81 स्कूलों में एक भी बच्चा क्यों नहीं है, अभिभावक सरकारी स्कूलों में बच्चों को क्यों नहीं भेज रहे है, अगर वहां पर बच्चे नहीं है तो वहां पर तैनात शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर ऐसे स्कूलों में भेजना चाहिए जहां पर बच्चों की संख्या ज्यादा है  और टीचर कम हैं।


सरकारी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध करवाना सरकार की ही जिम्मेदारी है और सरकार इस जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था करने का आदेश है पर उस पर अमल नहीं किया जा रहा है, सरकारी की लापरवाही के चलते  599 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं हैं।


कुमारी सैलजा न कहा कि कहा कि सरकार इतना पैसा खर्च करती है फिर भी प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट सरकारी स्कूलों से बेहतर आता है, सरकारी स्कूल टीचरों का वेतन प्राइवेट स्कूल के टीचर से दस गुना ज्यादा होता है। 


कुमारी सैलजा ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में सरकारी स्कूलों की अपेक्षा शिक्षा काफी मंहगी है, ऐसे में गरीबों के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही जाते हैं। पर सरकार इन सरकारी स्कूलों को बंद करने में लगी हुई है और प्राइवेट स्कूलों को प्रमोट कर रही है यानि सरकार गरीब वर्ग के  बच्चों को शिक्षा के अधिकारी से वंचित करना चाहती है।


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