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Radaur- धुंध से हो रहा नववर्ष का स्वागत, लेकिन पीडब्लयूडी विभाग की लापरवाही कभी भी पड़ सकती है भारी

न सड़कों की मुरम्मत न सफेद पट्टी पर ध्यान, वाहन चालक हो सकते है हादसों का शिकार..



रादौर 
NEWS
नववर्ष का मौसम ने पहले दोनों दिन धुंध के साथ स्वागत किया। जिसने लोगों को ठंडक का अहसास भी करवाया। धुंध के कारण सड़कों पर वाहन चालकों को लाईट जलाकर अपने गतंव्य तक पहुंचना पड़ा। हालांकि कुछ घंटो बाद खिली तेज धूप से वाहन चालकों के साथ साथ आमजन ने भी राहत की सांस ली और धूप का आनंद उठाया। मौसम विशेषज्ञों की माने तो अगले कुछ दिनों तक मौसम में और अधिक ठंडक बढऩे व धुंध छाए रहने की संभावना है और मौसम में वहीं बूंदाबांदी होने से मौसम में और अधिक ठंडक बढऩे की संभावना भी है। 

मौसम विशेषज्ञ डा. अजीत कुमार ने बताया कि अगले दो दिनों तक उत्तर पश्चिमी शीत हवाए चलने से दिन व रात के तापमान में हल्की गिरावट जारी रहने की संभावना है। शुक्रवार से हवा में संभावित बदलाव उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व हो जाने से 4 जनवरी को को भी धुंध के छाए रहने की संभावना बनी रहेगी। लेकिन इसके बाद पाश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से मौसम में बदलाव होगा। 6 जनवरी रात्रि से 8 जनवरी के दौरान कहीं - कहीं गरज व चमक के साथ हल्की बारिश होने की संभावना भी है। जिससे मौमस में और अधिक ठंडक बढ़ेगी।

पीडब्लयूडी विभाग की अनदेखी बढ़ा रही परेशानी

धुंध के मौसम में पीडब्लयूडी विभाग की लापरवाही वाहन चालकों की परेशानी बढ़ा रही है। सड़क मार्गो पर अभी विभाग की ओर से सफेद पट्टी लगाने का कार्य नहीं किया गया है। जिससे धुंध के मौसम में सड़कों पर दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। कुछ मुख्य मार्गो पर तो सफेद व पीली पट्टी बनी हुई है लेकिन लिंक मार्ग अभी तक विभाग की इस मेहरबानी से महरूम है। वहीं सड़कों के खस्ताहाल होना भी दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने क्षेत्र के लिंक मार्गो की मुरम्मत करवाने व उन पर सफेद पट्टी की सुविधा करवाने की मांग की है। ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु भी धुंध में हादसों का बन सकते है कारण

धुंध के मौसम में वैसे ही सड़कों से गुजरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है लेकिन पिछले काफी दिनों से सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु भी इस समस्या को और अधिक गंभीर बना रहे है। सड़कों पर धूम रहे यह पशु कभी भी वाहनों के आगे आ जाते है और धुंध व अंधेरे के कारण यह वाहन चालकों को दिखाई नहीं देते जिससे हादसा हो जाता है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन की ओर से बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौशाला में भेजे जाने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है और न ही उन पशुओं के गले में रिफलेक्टर लगाए जा रहे है जिससे कि हादसों की संभावना को कम किया जा सके। 















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