𝐖𝐨𝐫𝐥𝐝 𝐖𝐞𝐭𝐥𝐚𝐧𝐝𝐬 𝐃𝐚𝐲 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐛𝐞 𝐨𝐛𝐬𝐞𝐫𝐯𝐞𝐝 𝐨𝐧 𝐅𝐞𝐛𝐫𝐮𝐚𝐫𝐲 𝟐, 𝟐𝟎𝟐𝟐 𝐚𝐭 𝐒𝐮𝐥𝐭𝐚𝐧𝐩𝐮𝐫 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐏𝐚𝐫𝐤 𝐥𝐨𝐜𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐆𝐮𝐫𝐮𝐠𝐫𝐚𝐦, 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚. 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫, 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐩𝐚𝐫𝐭𝐢𝐜𝐢𝐩𝐚𝐭𝐞 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞. 𝐈𝐭 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐛𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐢𝐫𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐔𝐧𝐢𝐨𝐧 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐟𝐨𝐫 𝐄𝐧𝐯𝐢𝐫𝐨𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭, 𝐅𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞, 𝐁𝐡𝐮𝐩𝐞𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐘𝐚𝐝𝐚𝐯. 𝐓𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐛𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐝𝐮𝐜𝐭𝐞𝐝 𝐣𝐨𝐢𝐧𝐭𝐥𝐲 𝐢𝐧 𝐩𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫𝐬𝐡𝐢𝐩 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐫𝐲 𝐨𝐟 𝐄𝐧𝐯𝐢𝐫𝐨𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭, 𝐅𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐆𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वन मंत्री कंवरपाल विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर 𝟐 फरवरी को गुरुग्राम जिले में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव मुख्य अतिथि होंगे और केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे विशेष अतिथि होंगे।
हरियाणा में इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का उत्सव और भी विशेष होगा, क्योंकि मई 𝟐𝟎𝟐𝟏 में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, गुरुग्राम और भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य, झज्जर को रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) के रूप में घोषित किया गया था। इसके साथ ही हरियाणा अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले आर्द्रभूमि मानचित्र पर उभरा है।
Giving
further information in this regard, an official spokesperson said that Haryana
Pond and Waste Water Management Authority (HPWWMA) is working for restoration
and rejuvenation of all water bodies/lakes/ponds in the state for which World
Wetlands Day is observed. On this occasion, Haryana Pond and Waste Water
Management Authority (HPWWMA) will display works related to restoration of
ponds through posters and models. Along with this, through power-point
presentation and short documentary, the works and achievements of the Authority
since its inception will also be presented.
The
spokesperson said Haryana Pond and Waste Water Management Authority (HPWWMA)
was notified on September 23, 2018. Since its inception the Authority has been
working to restore the waste water flowing into the ponds, to rejuvenate the
ponds as well as to treat and manage them. The authority has collected data of
18,751 ponds and made it available through Pond Data Management System (PDMM)
software.
The
spokesperson said that the waste water flowing into the ponds is being treated
through wetland techniques so that these ponds can be used for fish farming,
cattle and micro irrigation. Desilting of ponds will conserve water and improve
ground water level and prevent water scarcity.
वर्तमान में भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 𝟒𝟕 है। दो और आद्र्रभूमि अर्थात्- खिजडिय़ा वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात) और बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (यूपी) को उस दिन रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया जाएगा। इससे भारत में रामसर आद्र्रभूमि की संख्या 𝟒𝟗 हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान गुरुग्राम-झज्जर राजमार्ग पर सुल्तानपुर गांव में स्थित है। यह गुरुग्राम से 𝟏𝟓 किलोमीटर और दिल्ली से 𝟓𝟎 किलोमीटर दूर है। यह 𝟑𝟓𝟎 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। सुल्तानपुर के एविफौना-समृद्ध पर्यावास की खोज पीटर जैक्सन ने की थी, जिन्होंने मार्च 𝟏𝟗𝟕𝟎 में अपने एक वन्यजीव विशेषज्ञ मित्र के साथ पार्क का दौरा किया था।
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को 𝟐 अप्रैल, 𝟏𝟗𝟕𝟏 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। 𝟓 जुलाई, 𝟏𝟗𝟗𝟏 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ था। हर साल लगभग 𝟓𝟎,𝟎𝟎𝟎 प्रवासी पक्षी दुनिया के विभिन्न हिस्सों मुख्य रूप से यूरेशिया से खाने और सर्दियों का समय व्यतीत करने सुल्तानपुर आते हैं।
सर्दियों में सुल्तानपुर में प्रवासी पक्षियों जैसे सारस क्रेन, डेमोइसेल क्रेन, उत्तरी पिंटेल, उत्तरी फावड़ा, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, वेडर, ग्रे लैग गूज, गडवाल, यूरेशियन विजन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि की चहचाहट एक सुरम्य चित्रमाला प्रदान करने का काम करती है। यह पार्क कोबरा, मॉनिटर लिजर्ड, हेजहोग, भारतीय खरगोश, येलो मॉनिटर लिजर्ड, सेही, सियार, नीला बैल का भी आवास है। यह पार्क एशियाई फ्लाईवे पर पड़ता है और इसलिए, कई पक्षी अपनी आगे और पीछे की यात्रा के दौरान यहां आराम करते हैं। भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य एक मीठे पानी की झील, जो हरियाणा में सबसे बड़ी है, झज्जर जिले में स्थित है। यह झज्जर शहर से लगभग 𝟏𝟓 किमी दूर है। यह एक हजार एकड़ से कुछ अधिक के क्षेत्र में विस्तृत है। इसे 𝟓 जुलाई 𝟏𝟗𝟖𝟓 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
यह झील प्राचीन साहिबी नदी जो राजस्थान में अरावली पहाडिय़ों से मसानी बैराज रेवाड़ी होती हुई यमुना तक जाती थी, के मार्ग के साथ पारिस्थितिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साहिबी नदी, सबाशीपुर, एसएनपी, बसई आद्र्रभूमि और द लॉस्ट लेक ऑफ गुरुग्राम की एक सहायक नदी भी बनाती है।
यहां प्रवासी प्रजातियां की 𝟖𝟎 से अधिक प्रजातियां और 𝟏𝟎𝟎 से अधिक रेजिडेंट प्रजातियां दर्ज की गई हैं। सर्दियों के दौरान भिंडावास में 𝟒𝟎,𝟎𝟎𝟎 से अधिक प्रवासी पक्षी आते हैं। आद्र्रभूमि दिवस समारोह के अवसर पर आद्र्रभूमि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित वेबिनार की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। हरियाणा में पक्षियों की संख्या पर एक अभ्यास भी पूरे राज्य के विभिन्न भागों में चल रहा है।
इससे पहले, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी के 𝟕𝟓 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सुल्तानपुर में आईकोनिक सप्ताह मनाया। आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान आद्र्रभूमि के बारे में जागरूकता पैदा करने से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।
उल्लेखनीय है कि आद्र्रभूमि पारिस्थितिक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो 𝟒𝟎 प्रतिशत जैव विविधता को आश्रय देते हैं। वे पानी को अवशोषित करते हैं, बाढ़ को नियंत्रित करते हैं, पानी को शुद्ध करते हैं और जल स्तर को रिचार्ज करते हैं। वे वैश्विक कार्बन का लगभग 𝟏/𝟑 भाग संग्रहीत करते हैं और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, अगर इन्हे संरक्षित नहीं किया जाता है, तो वे कार्बन उत्सर्जन का स्रोत भी हो सकते हैं। आद्र्रभूमि सबसे अधिक उत्पादक प्रणालियाँ हैं और दूसरों को रोजगार प्रदान करने के अलावा लाखों लोगों को खाना देने का काम करती है।
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