'क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने' के फार्मूले पर आधारित है हरियाणा का बजट
चंडीगढ़ / 𝐂𝐢𝐭𝐲 𝐋𝐢𝐟𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚. 𝐂𝐨𝐦
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है की भाजपा-जजपा सरकार के 'क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने' के फार्मूले पर आधारित दिशाहिन बजट से हरियाणा में कर्जा तो बढ़ा पर जनता को कुछ नहीं मिला।
प्रदेश पर कर्ज बढ़ा- पर जनता को कुछ नहीं मिला..
बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुरजेवाला ने कहा वर्ष 𝟏𝟗𝟔𝟔 से 𝟐𝟎𝟏𝟒 तक यानि 𝟒𝟖 साल में विभिन्न सरकारों ने केवल 𝟕𝟎,𝟗𝟑𝟏 करोड़ रुपए ऋण लिया, पर वर्तमान भाजपा सरकार ने सात साल में ही 𝟏,𝟓𝟐,𝟖𝟑𝟕 करोड़ रुपए ऋण लिया। वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 तक हरियाणा पर कुल ऋण 𝟕𝟎,𝟗𝟑𝟏 करोड़ रुपए था, जो मार्च 𝟐𝟎𝟐𝟐 में 𝟐𝟏𝟓 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़कर 𝟐,𝟐𝟑,𝟕𝟔𝟖 करोड़ हो गया है। सबसे बड़ा सवाल है कि पिछले सात-आठ साल में हरियाणा सरकार ने सब चीज़ों पर टैक्स बढ़ाए, प्रदेश में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं शुरू हुआ, स्कूल-अस्पताल नहीं बने, एक लाख से ज़्यादा सरकारी पद ख़ाली पड़े हैं, तो फिर 𝟏,𝟓𝟐,𝟖𝟑𝟕 करोड़ रुपए जो ऋण में लिए गए, वो कहाँ खर्च हुए?
टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए बजट में भारी कमी..
सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा बजट में टेक्निकल एजुकेशन औऱ इंड्स्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए बजट को दो-तिहाई से ज्यादा घटा दिया गया है, जिसका मतलब है कि सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगारोन्मुखी तकनीकी शिक्षा नहीं देना चाहती, जबकि प्रदेश में पहले ही देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में 𝟏,𝟓𝟐𝟐 करोड़ रुपए टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए खर्च हुए थे, लेकिन सरकार ने अगले वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 के लिए उसे घटाकर 𝟒𝟎𝟎 करोड़ कर दिया है।
सरकार ने रखा टैक्सों में बढ़ोतरी का प्रावधान..
प्रदेश सरकार ने वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 के लिए टैक्स रेवेन्यू में एक्साइज, वैट, स्टेट जीएसटी और स्टाम्प ड्यूटी जैसे टैक्सों में बढ़ोतरी का प्रावधान रखा है, जिसका मतलब है सरकार पेट्रोल-डीजल के वैट पर कोई राहत नहीं देने वाली औऱ प्रदेश की जनता पर टैक्सों का बोझ बढ़ाया जाएगा।
लोकल बॉडीज के लिए बजट घटाया..
वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 में ग्राम पंचायतों को ग्रांट-इन-एड के रुप में 𝟏,𝟐𝟔𝟒 करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन उसके मुकाबले में 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में केवल 𝟏,𝟎𝟗𝟏.𝟒 करोड़ दिए गए और अब 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 में केवल 𝟏,𝟏𝟐𝟔.𝟐𝟑 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसी प्रकार शहरी स्थानीय निकायों को भी ग्रांट-इन-एड के रुप में वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 में 𝟏,𝟖𝟐𝟓 करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन पिछले वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में केवल 𝟏,𝟔𝟗𝟕.𝟒 करोड़ ही दिए गए, वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 के लिए बढ़ती महंगाई के बावजूद केवल 𝟏,𝟕𝟒𝟗.𝟓𝟕 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के विकास तथा कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में प्रावधान किए गए राशि को पूरा खर्च न करके अपनी जन विरोधी सोच को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
हरियाणा में कर्जा बढ़ा, जनता को मिला कुछ नहीं
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 8, 2022
दिशाहीन बजट ने प्रदेश की जनता को एक बार फिर निराश किया
'क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने' के फार्मूले पर आधारित है हरियाणा का बजट
हमारा बयान-: pic.twitter.com/a43utr1D3g