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Yamunanagar- कलेसर नेशनल पार्क व सेंचुरी एरिया में मशरूम एवं बटरफ्लाई सर्वेक्षण शुरू

𝐃𝐢𝐯𝐮𝐥𝐠𝐢𝐧𝐠 𝐝𝐞𝐭𝐚𝐢𝐥𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐩𝐨𝐤𝐞𝐬𝐩𝐞𝐫𝐬𝐨𝐧 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐜𝐮𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐮𝐫𝐯𝐞𝐲 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐛𝐞 𝐨𝐧 𝐦𝐮𝐬𝐡𝐫𝐨𝐨𝐦𝐬, 𝐡𝐨𝐰𝐞𝐯𝐞𝐫, 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐮𝐫𝐯𝐞𝐲 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐛𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐝𝐮𝐜𝐭𝐞𝐝 𝐟𝐨𝐫 𝐛𝐮𝐭𝐭𝐞𝐫𝐟𝐥𝐢𝐞𝐬, 𝐬𝐩𝐢𝐝𝐞𝐫𝐬, 𝐚𝐦𝐩𝐡𝐢𝐛𝐢𝐚𝐧𝐬, 𝐟𝐢𝐬𝐡, 𝐫𝐞𝐩𝐭𝐢𝐥𝐞𝐬, 𝐛𝐢𝐫𝐝𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐦𝐚𝐦𝐦𝐚𝐥𝐢𝐚𝐧 𝐝𝐢𝐯𝐞𝐫𝐬𝐢𝐭𝐲 𝐚𝐧𝐝 𝐯𝐚𝐫𝐢𝐨𝐮𝐬 𝐚𝐬𝐩𝐞𝐜𝐭𝐬 𝐫𝐞𝐥𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞𝐢𝐫 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐞𝐫𝐯𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧.


By, Ran Singh Chauhan/Sept 30,2021













यमुनानगर 𝐍𝐄𝐖𝐒। कलेसर नेशनल पार्क  व सेंचुरी एरिया में मशरूम एवं बटरफ्लाई की प्रजातियों के बारे में सर्वेक्षण शुरू किया गया है। जंगल के अलग-अलग क्षेत्रों से एक्सपर्ट की 𝟖 टीमों ने मशरूम की 𝟓𝟓 प्रजाति तथा बटरफ्लाई की 𝟓𝟎 प्रजाति की खोज की है। सर्वेक्षण की टीम के साथ वन्य प्राणी विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ जगदीश चंद्र तथा स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग भी उपस्थित रहे। सर्वेक्षण की आठ अलग-अलग टीमों को चीफ लाइफ वार्डन डॉ जगदीश चंद्र ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सर्वेक्षण टीमों ने जंगल के अलग-अलग 𝟖 क्षेत्रों में पैदल घूम कर बटरफ्लाई वे मशरूम पर आंकड़े एकत्रित किए।

Highlighting the necessity of such a Survey the spokesperson said that trees, shrubs, climbers and herbs would not be able to live on land without fungi. They are an integral part of food chain of many insects and other organisms. The fungi and mushrooms are an inseparable part of a healthy ecosystem. He elaborated that a number of fungi species (mushrooms) are edible and moreover mushrooms are the only vegetarian source of vitamin D. Also, Wild and the International Union for Conservation of Nature Species Survival Commission became first global organization  to call for the recognition of fungi as one of three kingdoms of life critical to protecting and restoring Earth " fauna, flora and funga” — which are critical to all life on Earth and to be integrated into conservation strategies. Thus, the need to conduct such a Survey was identified.

He further said that fifteen scientists (having expertise in various fields like fungi, insects, soil, climate change, botany, plant physiology etc.) from forest research institutes, Dehradun, ten scientists (having expertise in various fields like beetles, butterflies, bees, pollinators, fireflies, bumble bees, mammals, birds and reptiles) from wildlife institute of India, Dehradun, professors and biology students from various colleges of Yamunanagar, nature NGOs, bird lovers and officials of Haryana Forest Department will participate in a day long survey to explore the rich diversity of funga, flora and fauna of Kalesar National Park and Wildlife Sanctuary, he said. 

कलेसर नेशनल पार्क में सेंचुरी एरिया में सर्वेक्षण द्वारा वन्य प्राणी विभाग के वन्य जीव प्रजातियों को तलाशने का सर्वेक्षण शुरू किया गया है। इसी कड़ी में पहली बार तितलियों तथा मशरूम पर विशेष सर्वेक्षण हुआ। जिसमें 𝟓𝟓 प्रजाति की बटरफ्लाई देखी गई हैं। एक्सपर्ट डॉक्टर हरविंदर सिंह ने बताया कि तीन नई प्रजाति की बटरफ्लाई कलेसर नेशनल पार्क में दिखाई दी हैं। इसी प्रकार मशरूम को लेकर सर्वेक्षण कर रहे विशेषज्ञ डॉक्टर हर्ष ने बताया कि जंगल के विभिन्न क्षेत्रों से 𝟓𝟓 प्रजाति की मशरूम मिली है। जिसमें पहली बार 𝟓 नई प्रकार की मशरूम मिली। शिवालिक की पहाड़ियों में अलग-अलग क्षेत्रों में सर्वेक्षण में लगे 𝟖 टीमों ने कई कई किलोमीटर पैदल चलकर सर्वेक्षण के आंकड़े एकत्रित किए। सर्वेक्षण रिपोर्ट से साफ है कि शिवालिक एरिया जैव विविधता के लिए उपयुक्त है। दरअसल वन एवं वन्य जीव विभाग के पीसीसीएफ एवं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जगदीश चंद्र के नेतृत्व में देहरादून, दिल्ली, कुरुक्षेत्र आदि यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ने सर्वेक्षण में भाग लिया। एक्सपर्ट ने बताया कि तितलियों की उपस्थिति एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है। यह समृद्ध और विधिक जीवन रूपों की उपस्थिति का भी प्रतीक है। 

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जगदीश चंद्र ने बताया कि रेवाड़ी के बाद कलेसर नेशनल पार्क में सर्वेक्षण कर आंकड़े जुटाए गए हैं। अभी दूसरे नेशनल पार्क में सर्वे शुरू नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह अपनी तरह का पहला तितलियों का सर्वेक्षण करने का उद्देश्य प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए हर प्रकार के जीव जंतुओं की मेहता की जानकारी प्राप्त करना है। तितलियां जो एक महत्वपूर्ण परागकण भी हैं, वह कई पौधों की प्रजातियों को प्रभावित करती हैं। वह फूल से फल की ओर बढ़ते हैं। पौधों और तितलियों के बीच सह जीव संबंध है। स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग ने बताया कि  पर्यावरणीय अध्ययन के लिए यह सर्वेक्षण महत्वपूर्ण है। हरियाणा में इस तरह का सर्वेक्षण पहली बार किया जा रहा है। यह इको सिस्टम का बायोइंडिकेटर है। इस मौके पर वनस्पति, पक्षियों, स्पाइडर आदि पर भी एक्सपर्ट ने आंकड़े जुटाए। 

इस अवसर पर रिसर्च डिपार्टमेंट पंचकूला के डीएफओ दीपक नंदा, वाइल्डलाइफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार, इंस्पेक्टर राजेश चहल, रेंज अधिकारी कुलदीप सिंह, प्रोफेसर राजीव कलसी, डॉ अशोक खासा, मीरा मनोज, डॉक्टर जनक, डॉ गगन, डॉक्टर चेतना, डॉ प्रवीण वर्मा, डॉ हर्ष ,राजेश गुलिया ,प्रदीप कुमार ,दीपक कुमार, सोनू कुमार, वाइल्डलाइफ इंस्ट्रक्टर शिव सिंह, संदीप कुमार, परवेज अहमद, मोहित कुमार, सुमित कुमार, सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे। 

It is worth mentioning that Kalesar National Park & Wildlife Sanctuary is a well protected and well managed protected area and harbours rich diversity of various life forms 

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