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Yamunanagar- बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि

जिंदगी का आखिरी दौर कैसे गुजरेगाकितना भारी पड़ेगा कुछ कहा नहीं जा सकता..


यमुनानगर
NEWS
खिजराबाद-  अक्सर देखा जाता है कि हमारे देश में जब किसी की मौत हो जाती है तो उसकी अर्थी को पुरुष ही कंधा देते हैं। लेकिन यमुनानगर  के गांव  दलमीरगढ़  से एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है। जहां बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया। यहां पिताजी की मौत पर बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर साबित कर दिया कि परिवार में उनकी अहमियत किसी बेटे से कम नहीं है।

पीडब्ल्यूडी विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी एवं शिक्षा मंत्री कंवर पाल के सहपाठी बहादुरपुर पंचायत के गांव  दलमीरगढ़ निवासी जगदीश चंद की मौत हो गई। पिछले 6 माह से फेफड़े खराब होने से आक्सीजन सिलेंडर के सहारे सांसें चल रही थी। जो सोमवार को थम गई। पिता की मौत के बाद चारों बेटियां पिता के गम में डूब गई। कुछ साल पहले हादसे में 20 साल का भाई खो दिया था। अब पिताजी ना रहे। इसलिए चारों बहनों ने पहले पिता की अर्थी को कंधा दिया, फिर चारों ने हथनी कुंड बैराज जाकर यमुना नदी में पिता की अस्थि विसर्जन किया।

जिंदगी का आखिरी दौर कैसे गुजरेगाकितना भारी पड़ेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। ग्राम पंचायत बहादुरपुर के दलमीर गढ़ निवासी 60 वर्षीय जगदीश चंद कृत्रिम सांसो के सहारे अपने दिन काट रहे हैं। शिक्षा मंत्री कंवरपाल के खिजराबाद स्कूल में सहपाठी रहे जगदीश चंद पीडब्ल्यूडी में बेलदार भर्ती हुए और मेट के पद पर रहते हुए उन्होंने 2008 में घरेलू परिस्थितियों के चलते वीआरएस ले ली। जगदीश के पास चार लड़कियां हैं और एक बेटा कृष्ण गोपाल था जिसकी शादी के कुछ महीने बाद अचानक मौत हो गई। जगदीश के पास बेटे कृष्ण गोपाल की एकमात्र निशानी पौत्री प्रीति है। जो नौवीं क्लास में पढ़ती है।

6 महीने से फेफड़े खराब हो जाने के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर से सांस ले रहे जगदीश चंद आखिर जिंदगी की जंग हार गए। जगदीश चंद के पास चार लड़कियां हैं। एक लड़का कृष्ण गोपाल था जिसकी शादी के कुछ महीने बाद ही 20 साल की उम्र में मौत हो गई थी। कृष्ण की मृत्यु के बाद बेटी प्रीति का जन्म हुआ। लेकिन कृष्ण की पत्नी बेटी को जगदीश व पत्नी जगवती के पास छोड़ कर चली गई। बेटे के अचानक चले जाने का गम जगदीश को आखिरी सांस तक रहा। चारों बहनों ने मिलकर विचार किया कि मां को बेटे की कमी महसूस ना होने दें।

अब पिता की मौत पर चारों बहनों सुषमा, अमिता, रजनी व गीता ने अर्थी को कंधा दिया और उसके बाद मिलकर हथिनी कुंड बैराज पर यमुना नदी में सुबह पिता का अस्थि विसर्जन भी किया। जगदीश की चारों बेटियों सुषमा, अमिता, रजनी व गीता ने पिता के अंतिम क्रिया कर्म में आगे बढ़ कर समाज में मिसाल कायम की। जगदीश की पत्नी जगवती भी बीमार पति की देखरेख में दिन रात एक किए रही।

चारों बहनों के इस साहसिक कदम की समाज में खूब चर्चा

बता दें कि जैसे ही यह अर्थी इलाके से निकली तो हर किसी ने इन बेटियों के जज्बे की तारीफ की। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश की महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं हैं। इसके बाद पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार तक कर दिया। बेटे की तरह क्रियाक्रम सारी प्रथाएं निभाईं। 

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