𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫, 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐚𝐝𝐝𝐫𝐞𝐬𝐬𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐭𝐨 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐨𝐮𝐭 𝐨𝐟 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐨𝐫𝐠𝐚𝐧𝐢𝐳𝐞𝐝 𝐚𝐭 𝐑𝐚𝐝𝐡𝐚𝐤𝐫𝐢𝐬𝐡𝐧𝐚 𝐀𝐮𝐝𝐢𝐭𝐨𝐫𝐢𝐮𝐦 𝐨𝐟 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐢𝐬𝐡𝐢 𝐃𝐚𝐲𝐚𝐧𝐚𝐧𝐝 𝐔𝐧𝐢𝐯𝐞𝐫𝐬𝐢𝐭𝐲, 𝐑𝐨𝐡𝐭𝐚𝐤. 𝐓𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐚𝐥𝐰𝐚𝐲𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐚𝐧 𝐢𝐦𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐧𝐭 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐚𝐥 𝐫𝐞𝐬𝐨𝐮𝐫𝐜𝐞𝐬 𝐟𝐨𝐫 𝐡𝐮𝐦𝐚𝐧 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠𝐬. 𝐂𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐚 𝐦𝐚𝐭𝐭𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐜𝐨𝐧𝐜𝐞𝐫𝐧 𝐬𝐢𝐧𝐜𝐞 𝐚𝐧𝐜𝐢𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐢𝐦𝐞𝐬. 𝐒𝐚𝐢𝐧𝐭𝐬 𝐚𝐥𝐰𝐚𝐲𝐬 𝐚𝐰𝐚𝐫𝐞 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐢𝐭 𝐢𝐬 𝐚 𝐦𝐚𝐭𝐭𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐜𝐨𝐧𝐜𝐞𝐫𝐧 𝐭𝐨 𝐬𝐚𝐯𝐞 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫, 𝐞𝐚𝐫𝐭𝐡 𝐚𝐧𝐝 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐞 𝐢𝐧 𝐚 𝐬𝐮𝐬𝐭𝐚𝐢𝐧𝐚𝐛𝐥𝐞 𝐰𝐚𝐲.
चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। पौधारोपण के साथ-साथ वृक्षों की सुरक्षा की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस कार्य को लेकर सभी को जागरूक होना होगा। जिस प्रकार से अपने परिवार और बच्चों की चिंता की जाती है। वैसे ही हम सभी को मिलकर वृक्षों की चिंता करनी होगी। तभी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकेगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के राधाकृष्ण सभागार में आयोजित भारत में वन क्षेत्र से बाहर वृक्ष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपने हाथों से लगाए हुए पेड़ जब बड़े हो जाते हैं। तब उनके पास जाकर बड़ा सुकून मिलता है। वृक्ष हमेशा से ही मनुष्य के लिए अहम रहे हैं और हमारे बुजुर्गों को इस बात का पता है।
प्राचीन काल से ही जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय रहा है और हमारे ऋषि मुनि इस बात से अवगत थेद्घ वे हमेशा पानी, पृथ्वी व प्रकृति आदि की चिंता किया करते थे और इसी को लेकर उन्होंने ऐसे प्रावधान बनाएं कि लोगों का वृक्षों एवं प्रकृति आदि के प्रति एक भाव पैदा हो। उन्हीं संस्कारों के चलते हमारे देश में नदी, पेड़ व पृथ्वी आदि को आज भी माता कहा जाता है।
𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐝𝐯𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐝𝐞𝐯𝐞𝐥𝐨𝐩𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐨𝐫𝐥𝐝, 𝐭𝐡𝐞 𝐛𝐚𝐥𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐨𝐟 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐞 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐝𝐢𝐬𝐭𝐮𝐫𝐛𝐞𝐝. 𝐃𝐞𝐯𝐞𝐥𝐨𝐩𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐞𝐬𝐬𝐞𝐧𝐭𝐢𝐚𝐥 𝐟𝐨𝐫 𝐡𝐮𝐦𝐚𝐧 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠𝐬. 𝐁𝐮𝐭 𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐦𝐞 𝐭𝐢𝐦𝐞 𝐦𝐚𝐢𝐧𝐭𝐚𝐢𝐧𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐞𝐜𝐨𝐥𝐨𝐠𝐢𝐜𝐚𝐥 𝐛𝐚𝐥𝐚𝐧𝐜𝐞 𝐢𝐬 𝐞𝐪𝐮𝐚𝐥𝐥𝐲 𝐢𝐦𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐧𝐭 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐨𝐭𝐡𝐞𝐫 𝐬𝐢𝐝𝐞. 𝐓𝐨𝐝𝐚𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐞𝐧𝐭𝐢𝐫𝐞 𝐰𝐨𝐫𝐥𝐝 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐟𝐚𝐜𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐞𝐟𝐟𝐞𝐜𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐜𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐚𝐟𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐧 𝐥𝐚𝐫𝐠𝐞 𝐬𝐜𝐚𝐥𝐞. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐭𝐢𝐦𝐞 𝐨𝐟 𝐆𝐫𝐞𝐞𝐧 𝐑𝐞𝐯𝐨𝐥𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐜𝐡𝐞𝐦𝐢𝐜𝐚𝐥 𝐚𝐧𝐝 𝐩𝐞𝐬𝐭𝐢𝐜𝐢𝐝𝐞𝐬 𝐰𝐞𝐫𝐞 𝐮𝐬𝐞𝐝 𝐞𝐱𝐭𝐞𝐧𝐬𝐢𝐯𝐞𝐥𝐲 𝐢𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐚𝐧𝐝 𝐏𝐮𝐧𝐣𝐚𝐛 𝐭𝐨 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐲𝐢𝐞𝐥𝐝 𝐨𝐟 𝐜𝐫𝐨𝐩𝐬. 𝐓𝐡𝐢𝐬 𝐬𝐭𝐞𝐩 𝐡𝐚𝐬 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐲𝐢𝐞𝐥𝐝 𝐛𝐮𝐭 𝐝𝐞𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐪𝐮𝐚𝐥𝐢𝐭𝐲 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐫𝐨𝐩 𝐲𝐢𝐞𝐥𝐝. 𝐒𝐢𝐦𝐢𝐥𝐚𝐫𝐥𝐲, 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫 𝐡𝐚𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐛𝐞𝐜𝐨𝐦𝐞 𝐩𝐨𝐥𝐥𝐮𝐭𝐞𝐝. 𝐀𝐢𝐫 𝐩𝐨𝐥𝐥𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐢𝐬 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐢𝐧𝐠 𝐝𝐚𝐲 𝐛𝐲 𝐝𝐚𝐲, 𝐡𝐞 𝐚𝐝𝐝𝐞𝐝.
उन्होंने कहा कि दुनिया के विकास के चलते प्रकृति के साथ संतुलन बिगड़ा है। विकास मानव के लिए जरूरी है। लेकिन इसके साथ-साथ प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना उससे भी ज्यादा जरूरी है। आज चिंता खत्म हो गई है और पेड़ों की कटाई के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आने लगे।
उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के समय हरियाणा और पंजाब में फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए केमिकल और पेस्टिसाइड का भरपूर प्रयोग किया गया। इससे पैदावार तो बढ़ा ली गई। लेकिन फसल की गुणवत्ता खत्म हो गई। ऐसे ही पानी ने प्रदूषण के कारण जल भी प्रदूषित हो गया है। वायु प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की महामारी के समय सबने देखा है कि किस प्रकार से लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी और शरीर की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए प्राकृतिक ऑक्सीजन की बजाए मानव निर्मित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पड़े। यह प्राकृतिक संतुलन बिगडऩे का ही कारण है, जिसको लेकर आज पूरी दुनिया में चिंता व्यक्त की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की महामारी के समय सबने देखा है कि किस प्रकार से लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी और शरीर की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए प्राकृतिक ऑक्सीजन की बजाए मानव निर्मित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पड़े। यह प्राकृतिक संतुलन बिगडऩे का ही कारण है, जिसको लेकर आज पूरी दुनिया में चिंता व्यक्त की जा रही है।
सभी देश इसको लेकर काम करने के लिए आगे आए हैं। इसी कड़ी में भारत में वन क्षेत्र से बाहर वृक्ष नामक कार्यक्रम की शुरुआत आज हरियाणा से हुई है। इसके लिए यू एस ऐड फाउंडेशन सहयोग कर रही है। योजना के तहत वन्य क्षेत्रों के बाहर वृक्ष लगाने पर विशेष फोकस रहेगा।
𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐚 𝐬𝐦𝐚𝐥𝐥 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭𝐫𝐲 𝐚𝐧𝐝 𝐡𝐚𝐬 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝟑.𝟓 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚. 𝐈𝐟 𝐰𝐞 𝐭𝐚𝐥𝐤 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐨𝐮𝐭𝐬𝐢𝐝𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚, 𝐭𝐡𝐞𝐧 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐨𝐨 𝐢𝐬 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝟑.𝟐 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭. 𝐎𝐯𝐞𝐫𝐚𝐥𝐥, 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝟔.𝟕 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐜𝐚𝐧 𝐛𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐢𝐝𝐞𝐫𝐞𝐝 𝐚𝐧𝐝 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦, 𝐚 𝐭𝐚𝐫𝐠𝐞𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐬𝐞𝐭 𝐭𝐨 𝐝𝐞𝐯𝐞𝐥𝐨𝐩 𝟐𝟎 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐧𝐞𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐚𝐰𝐚𝐫𝐞𝐧𝐞𝐬𝐬 𝐢𝐧 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐢𝐧𝐬𝐭𝐢𝐭𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐞𝐫𝐯𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐬.
उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का छोटा सा प्रदेश है और यहां केवल 𝟑.𝟓 प्रतिशत वन क्षेत्र है। अगर वन क्षेत्र से बाहर वृक्षों की बात की जाए तो वह भी केवल 𝟑.𝟐 प्रतिशत ही है। कुल मिलाकर लगभग 𝟔.𝟕 प्रतिशत वन क्षेत्र माना जा सकता है और इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 𝟐𝟎 प्रतिशत क्षेत्र को वृक्ष लगाकर वनों के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर शिक्षण संस्थाओं में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। ताकि बच्चों के माध्यम से इस कार्यक्रम को तेजी से सफल बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग द्वारा हर वर्ष प्रदेश में करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन अगर कुछ माह बाद उनकी स्थिति जांची जाए तो लगभग 5 प्रतिशत पौधे ही विकसित हो पाते है। ऐसे में इस व्यवस्था की ओर ध्यान देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। हम सभी को समझना होगा कि पेड़ लगाने तक सीमित रहने से जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता।
𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐚 𝐬𝐦𝐚𝐥𝐥 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭𝐫𝐲 𝐚𝐧𝐝 𝐡𝐚𝐬 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝟑.𝟓 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚. 𝐈𝐟 𝐰𝐞 𝐭𝐚𝐥𝐤 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐨𝐮𝐭𝐬𝐢𝐝𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚, 𝐭𝐡𝐞𝐧 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐨𝐨 𝐢𝐬 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝟑.𝟐 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭. 𝐎𝐯𝐞𝐫𝐚𝐥𝐥, 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝟔.𝟕 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐜𝐚𝐧 𝐛𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐢𝐝𝐞𝐫𝐞𝐝 𝐚𝐧𝐝 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦, 𝐚 𝐭𝐚𝐫𝐠𝐞𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐬𝐞𝐭 𝐭𝐨 𝐝𝐞𝐯𝐞𝐥𝐨𝐩 𝟐𝟎 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐧𝐞𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐚𝐰𝐚𝐫𝐞𝐧𝐞𝐬𝐬 𝐢𝐧 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐢𝐧𝐬𝐭𝐢𝐭𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐞𝐫𝐯𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐬.
उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का छोटा सा प्रदेश है और यहां केवल 𝟑.𝟓 प्रतिशत वन क्षेत्र है। अगर वन क्षेत्र से बाहर वृक्षों की बात की जाए तो वह भी केवल 𝟑.𝟐 प्रतिशत ही है। कुल मिलाकर लगभग 𝟔.𝟕 प्रतिशत वन क्षेत्र माना जा सकता है और इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 𝟐𝟎 प्रतिशत क्षेत्र को वृक्ष लगाकर वनों के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधों के संरक्षण को लेकर शिक्षण संस्थाओं में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। ताकि बच्चों के माध्यम से इस कार्यक्रम को तेजी से सफल बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग द्वारा हर वर्ष प्रदेश में करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन अगर कुछ माह बाद उनकी स्थिति जांची जाए तो लगभग 5 प्रतिशत पौधे ही विकसित हो पाते है। ऐसे में इस व्यवस्था की ओर ध्यान देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। हम सभी को समझना होगा कि पेड़ लगाने तक सीमित रहने से जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता।
पेड़ लगाने के बाद उसकी रक्षा भी हमें ही करनी होगी। तभी पेड़ के विकसित होने के बाद उसका पूरा लाभ मनुष्य को मिल पाएगा। सरकार की ओर से पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेया के जाने माने पर्यावरण संरक्षणकर्ता डा दर्शनलाल जैन के नाम से राज्य पर्यावाण सुरक्षा पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसके तहत तीन लाख रूपए की राशि दी जाती है।
𝐈𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞, 𝐔𝐒 𝐀𝐢𝐝 𝐅𝐨𝐮𝐧𝐝𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚 𝐌𝐢𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐢𝐫𝐞𝐜𝐭𝐨𝐫 𝐊𝐚𝐫𝐞𝐧 𝐊𝐥𝐢𝐦𝐨𝐰𝐬𝐤𝐢 𝐚𝐩𝐩𝐫𝐞𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐞𝐧𝐯𝐢𝐫𝐨𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭𝐚𝐥 𝐩𝐫𝐨𝐭𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐞𝐩𝐬 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐆𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐜𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞 𝐚𝐫𝐞 𝐢𝐦𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐧𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐚𝐩𝐩𝐫𝐞𝐜𝐢𝐚𝐛𝐥𝐞. 𝐓𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐬𝐞𝐭 𝐚 𝐭𝐚𝐫𝐠𝐞𝐭 𝐭𝐨 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐢𝐧 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝟐𝟖 𝐥𝐚𝐤𝐡 𝐡𝐞𝐜𝐭𝐚𝐫𝐞𝐬 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐫𝐞𝐞 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐨𝐮𝐭𝐬𝐢𝐝𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐢𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚. 𝐓𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐢𝐬 𝐬𝐭𝐚𝐫𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐭𝐬𝐞𝐥𝐟.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से पौधों को बढ़ावा देने और पेड़ों के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ऐसी ही एक कार्यक्रम पौधगिरी के नाम से शुरू किया गया था, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 𝟐𝟐 लाख बच्चों को एक पौधा दिया जाता है और तीन साल उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी उसी बच्चे की होती है।इसके लिए उस बच्चे को हर साल 𝟓𝟎 रूपए मिलते हैं। कोराना की महामारी के कारण यह कार्यक्रम दो साल ही चल पाया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल से शिक्षा व वन विभाग के माध्यम से यह कार्यक्रम दोबार शुरू किया जाएगा।
𝐈𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞, 𝐔𝐒 𝐀𝐢𝐝 𝐅𝐨𝐮𝐧𝐝𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚 𝐌𝐢𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐢𝐫𝐞𝐜𝐭𝐨𝐫 𝐊𝐚𝐫𝐞𝐧 𝐊𝐥𝐢𝐦𝐨𝐰𝐬𝐤𝐢 𝐚𝐩𝐩𝐫𝐞𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐞𝐧𝐯𝐢𝐫𝐨𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭𝐚𝐥 𝐩𝐫𝐨𝐭𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐞𝐩𝐬 𝐭𝐚𝐤𝐞𝐧 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐆𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐜𝐥𝐢𝐦𝐚𝐭𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐠𝐞 𝐚𝐫𝐞 𝐢𝐦𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐧𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐚𝐩𝐩𝐫𝐞𝐜𝐢𝐚𝐛𝐥𝐞. 𝐓𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐬𝐞𝐭 𝐚 𝐭𝐚𝐫𝐠𝐞𝐭 𝐭𝐨 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐫𝐞𝐞𝐬 𝐢𝐧 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝟐𝟖 𝐥𝐚𝐤𝐡 𝐡𝐞𝐜𝐭𝐚𝐫𝐞𝐬 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐫𝐞𝐞 𝐩𝐥𝐚𝐧𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐨𝐮𝐭𝐬𝐢𝐝𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐫𝐞𝐚 𝐢𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚. 𝐓𝐡𝐢𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐠𝐫𝐚𝐦𝐦𝐞 𝐢𝐬 𝐬𝐭𝐚𝐫𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐭𝐬𝐞𝐥𝐟.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से पौधों को बढ़ावा देने और पेड़ों के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ऐसी ही एक कार्यक्रम पौधगिरी के नाम से शुरू किया गया था, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 𝟐𝟐 लाख बच्चों को एक पौधा दिया जाता है और तीन साल उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी उसी बच्चे की होती है।इसके लिए उस बच्चे को हर साल 𝟓𝟎 रूपए मिलते हैं। कोराना की महामारी के कारण यह कार्यक्रम दो साल ही चल पाया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल से शिक्षा व वन विभाग के माध्यम से यह कार्यक्रम दोबार शुरू किया जाएगा।
कार्यक्रम में यूएस ऐड फाऊंडेशन की इंडिया मिशन निदेशक करेन क्लीमोसकी ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों की सराहना की और कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल व हरियाणा सरकार की ओर से जलवायु परिवर्तन को लेकर उठाए गए कदम अहम हैं। प्रदेश सरकार ने भारत में वन क्षेत्र के बाहर वृक्ष कार्यक्रम के तहत लगभग 𝟐𝟖 लाख हेक्टेयर में पेड़ो को विकसित करने का बड़ा लक्ष्य रखा है। हरियाणा से ही इस कार्यक्रम की शुरूआत हो रही है।
कार्यक्रम में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनित गर्ग, उपायुक्त यशपाल, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह सहित विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी भी मौजूद रहे।
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